आशुतोष राणा को जानिए : अद्भुत व्यक्तित्व के धनी अभिनेता और वक्ता (Know Ashutosh Rana)
आशुतोष राणा हिंदी फिल्म जगत के जाने-माने अभिनेता है। उन्हे हिंदी फिल्मों में काम करते हुए लगभग 25 साल से अधिक हो चुके हैं। आशुतोष राणा को जीवन के बारे में जानते हैं…
आशुतोष राणा हिंदी फिल्म जगत के एक ऐसे जाने-माने अभिनेता है, जो केवल अपने उत्कृष्ट अभिनय के लिए ही नहीं जाने जाते बल्कि वह हिंदी भाषा में अपने अद्भुत प्रस्तुति के लिए भी विख्यात है। हिंदी भाषा के प्रति उनका प्रेम जगजाहिर है। उनका वाक् कौशल इतना उत्तम है कि सुनने वाला उनकी बातें से मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रहता। वह एक अद्भुत वक्ता है, सुनें तो बस सुनते ही रहो। उनके जीवन पर एक दृष्टि डालते हैं…
जन्म और परिवार
आशुतोष राणा का जन्म मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा नामक नगर में 10 नवंबर 1967 को हुआ था।
उनका मूल नाम ‘राणा नीखरा’ था, जो उनके माता-पिता ने उनको प्रदान किया था। उनके पिता का नाम ‘रामनारायण नीखरा’ था।
‘आशुतोष राणा’ ये उनका नाम उनका बाद में पड़ा। जिसके बारे में रोचक बात यह है कि यह नाम उन्होंने स्वयं ही रखा था।
बचपन में जब वह बेहद छोटे थे तो उनके परिवार में पूजा कार्य का आयोजन किया गया और पूजा के द्वारा भगवना शिव की आराधना करते समय ‘ऊँ आशुतोषाय नमः’ मंत्र का जब उच्चारण किया जा रहा था तो उन्होने उत्सुकतावश इस मंत्र में ‘आशुतोष’ का अर्थ पूछ लिया। जब उनके माता-पिता ने उस मंत्र का अर्थ बताया तो वह नाम उन्हें इतना अधिक भाया कि उन्होंने अपने माता-पिता को बोल दिया कि आज से मेरा नाम ‘आशुतोष’ ही होगा। वैसे उनके माता-पिता ने उनका नाम ‘राणा’ रखा था। इस तरह उनका पूरा नाम ‘आशुतोष राणा’ बन गया। वह आशुतोष राणा नीखरा बन गये। उनके पिता का नाम राम नारायण नीखरा था। बाद में उन्होंने ‘नीखरा’ उपमान भी हटा दिया और वह ‘आशुतोष राणा’ के नाम प्रसिद्ध हुए और यश बटोरा ये सब जानते हैं।
आशुतोष राणा कुल तीन भाई और एक बहन हैं।
परिवार में उनकी पत्नी का नाम रेणुका शहाणे है, जो कि स्वयं में एक जानी-मानी टेलिविजन प्रस्तोता, अभिनेत्री रही हैं। वे 90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले ‘सुरभि’ नाम कार्यक्रम की प्रस्तोता के रूप में बेहद प्रसिद्ध हुईं।
आशुतोष राणा और रेणुका शहाणे के दो पुत्र हैं, जिनके नाम आर्यमान राणा और सत्येन्द्र राणा हैं।
जीवन यात्रा पर एक दृष्टि
आशुतोष राणा की आरंभिक शिक्षा दीक्षा उनके मूल नगर गाडरवारा में ही हुई थी, उन्होंने डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय जोकि सागर, मध्य प्रदेश में स्थित है। वहाँ से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
मनोरंजन जगत में आशुतोष राणा को पहला अवसर 1995 से 1998 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले दैनिक धारावाहिक ‘स्वाभिमान’ में मिला था। इस धारावाहिक में उन्होंने ‘त्यागी’ नाम के पात्र की भूमिका निभाई थी।
हिंदी फिल्मों में उनको प्रसिद्धि ‘दुश्मन’ फिल्म से मिली, जिसमें वे मुख्य खलनायक की भूमिका में थे। इस फिल्म में संजय दत्त और काजोल थे। इसके बाद 1999 में प्रदर्शित फिल्म ‘संघर्ष’ में उनकी ‘लज्जाशंकर पांडे’ के रूप में खलनायक की भूमिका भी बेहद सराही गई। जो अक्षय कुमार और प्रीति जिंटा की मुख्य भूमिका वाली फिल्म थी।
आशुतोष राणा ने हिंदी फिल्म और धारावाहिक के अलावा कई अन्य भारतीय भाषाओं की फिल्मों मे भी काम किया है जिसमे तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम आदि दक्षिण भारतीय फिल्म प्रमुख हैं।
आशुतोष आशुतोष राणा ने जिन हिंदी फिल्मों में अभिनय किया है, उन फिल्मों के नाम इस प्रकार हैं
वैवाहिक जीवन
आशुतोष राणा की पत्नी रेणुका शहाणे खुद एक प्रसिद्ध हस्ती रही हैं।
वह 90 के दशक में दूरदर्शन के लोकप्रिय सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘सुरभि’ की सह-प्रस्तोता थीं। सिद्धार्थ काक के साथ सुरभि कार्यक्रम के प्रस्तुतिकरण से उन्होंने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ। 90 के दशक में सुरभि कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय हुआ था।
उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में सह-अभिनेत्री की भूमिका निभाई है। ‘हम आपके हैं कौन’ फिल्म में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका बेहद प्रसिद्ध रही थी। वे मूल रूप से महाराष्ट्रीयन परिवार से संबंध रखती हैं।
रेणुका शहाणे के से आशुतोष राणा की मुलाकात उनकी फिल्म ‘जयति’ के सेट पर हुई थी। उसके बाद कुछ वर्षों तक दोनों की मुलाकातें होती रहे और अंततः 25 मई 2001 को दोनों ने विवाह कर लिया।
आज दोनों सफल वैवाहिक जीवन जी रहे हैं और उनकी जोड़ी देखकर कहा जा सकता है कि ये जोड़ी एक-दूजे के लिये ही है ।
आशुतोष राणा के बारे में
आशुतोष राणा एक शानदार व्यक्तित्व के धनी हैं। वह एक मंजे हुए उत्तम अभिनेता तो हैं ही, इसके साथ-साथ एक अद्भुत वक्ता भी है। हिंदी भाषा के प्रति उनका गहरा लगाव सभी को पता है।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भले ही फिल्में हिंदी में बनती हों, लेकिन वहां पर अंग्रेजी में सब कुछ होता है। हिंदी फिल्मों के अधिकतर कलाकारों पर अंग्रेजी भाषा का ही प्रभुत्व है। हिंदी कलाकार भी स्वयं को अंग्रेजी में ही दर्शाने की कोशिश करते हैं।
आशुतोष राणा इन सबसे परे हैं, वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा हिंदी को ही प्राथमिकता देते हैं। उनके द्वारा शुद्ध हिंदी का प्रयोग मन को मोह लेता है। उनकी भाषा शैली इतनी अधिक पुष्ट और मंजी हुई है कि उनको सुनते रहने का ही मन करता है। उनकी बोलने की प्रस्तुति इतनी अद्भुत है कि बस उनको सुनते ही रहो।
हिंदी भाषा के लिए जितना अधिक लगाव उन्होने उन्होंने प्रकट किया है. वैसा अन्य किसी फिल्मी कलाकार ने कम ही प्रकट किया है।
वह फिल्म अभिनेता, उत्कृष्ट वक्ता होने के साथ-साथ एक सुंदर लेखक की है। उनके द्वारा लिखित ‘रामराज्य’ नामक उनकी पुस्तक अद्भुत है, जिसे पढ़ना भी अपने आप में एक अनोखा अनुभव है।
आशुतोष राणा आध्यात्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं और उनकी पालन-पोषण में भारतीय संस्कृति की जड़े समाई हुई हैं। उनके अंदर भारतीयता के पूरे संस्कार हैं। हिंदी फिल्म जग में रहते हुए भी उन्होंने अपने अंदर अपने भाषा प्रेम और संस्कृति प्रेम को जीवित रखा है जो आज के फिल्मी कलाकारों में कम ही देखने के मिलता है।
आशुतोष राणा एक उत्कृष्ट लेखक है, उन्होंने दो पुस्तके लिखी हैं।
रामराज्य
मौन मुस्कान की मार
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