Saturday, November 25, 2023

रक्षाबंधन – भाई और बहन का अनोखा बंधन, जानें मुहूर्त। शुभकामना संदेश भी दें।

रक्षाबंधन - Rakshabandhan

रक्षाबंधन – भाई और बहन का अनोखा बंधन (Raksha bandhan)

आज रक्षाबंधन (Raksha bandhan) का त्योहार है, जो कि भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है। बहनें अपने भाई को राखी बांध कर भाई के प्रति अपने प्रेम एवं स्नेह को प्रकट करती हैं। भाई भी बहनों के हाथ से राखी बंधवा कर भाई-बहन के प्रेम की मजबूत डोर को और अधिक मजबूत करते हैं। इस बार रक्षाबंधन 30 और 31 अगस्त दोनों दिन पड़ रहा है। इसी कारण लोगों में भ्रम की स्थिति है कि रक्षाबंधन कब है। इस साल पूर्णिमा तिथि 30 व 31 अगस्त दोनों दिन पड़ रही है और रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को ही मनाया जाता है। इसी कारण रक्षाबंधन 30-31 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा।

ऱक्षाबंधन: भाई-बहन के पवित्र बंधन का पर्व

रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह भाई-बहन के पवित्र बंधन का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को जीवनभर की रक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन मनाने का कारण

रक्षाबंधन मनाने का कारण भाई-बहन के बीच के प्रेम और रक्षा का बंधन है। बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर उन्हें यह बताती हैं कि वे उन्हें हमेशा प्यार करती हैं और उनकी रक्षा करेंगी। भाई भी अपनी बहनों को राखी बांधकर उन्हें यह आश्वासन देते हैं कि वे हमेशा उनकी रक्षा करेंगे और उन्हें कभी दुख नहीं होने देंगे।

रक्षाबंधन मनाने की विधि

रक्षाबंधन के दिन, बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। फिर वे अपने भाइयों के घर जाती हैं और उन्हें राखी बांधती हैं। राखी बांधते समय, बहनें अपने भाइयों को मिठाई और उपहार भी देती हैं। भाई अपनी बहनों को राखी बांधने के बदले उन्हें कुछ पैसे या उपहार देते हैं।

रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों के कल्याण के लिए व्रत भी रखती हैं। वे भगवान से प्रार्थना करती हैं कि उनके भाई हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रहें।

रक्षाबंधन मनाने की मान्यता और कहानी

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे अनेक तरह की पौराणिक एवं धार्मिक मान्यताएं हैं। इसके पीछे अनेक कहानियां हैं। कहीं पर द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कहानी है, तो कहीं पर लक्ष्मी और राजा बालि की कहानी है। कहीं पर इंद्र और उनकी पत्नी शचति की कहानी है तो कहीं पर राजा बलि की कहानी है और वामन अवतार की कहानी है।

रक्षाबंधन त्यौहार मनाने के पीछे अनेक तरह की कहानियां प्रचलित हैं, उनमें से कुछ कहानियां इस प्रकार हैं..

यम और यमुना की कहानी

यम को मृत्यु का देवता कहा गया है और यमुना उनकी बहन थी। एक बार लगभग 12 साल बाद वह अपनी बहन यमुना के घर उनसे मिलने गए। अपने भाई के आने की खुशी के कारण यमुना बेहद उत्साहित थीं।  उन्होंने अपने भाई यम के स्वागत के लिए तरह-तरह के पकवान बनाए। जब यम यमुना के घर पहुंचे तो यमुना ने उनका स्वागत भव्य रूप से किया और उनके हाथ पर एक धागा बांधा। यम ने अपनी बहन यमुना से प्रसन्न होकर कुछ उपहार मांगने के लिए कहा। तब यमुना ने उन्हें हमेशा मिलते रहने का वादा लिया। यम ने यमुना को आशीर्वाद दिया और किसी भी संकट की घड़ी में उसकी रक्षा करने का वचन दिया, तभी से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा चल पड़ी।

कृष्ण और द्रौपदी की कहानी

रक्षाबंधन की यह कहानी महाभारत से जुड़ी हुई है। इसके अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की उंगली किसी कारणवश कट गई तो उनके पास ही खड़ी द्रौपदी ने उन्होंने तुरंत अपनी गाड़ी से एक टुकड़ा फाड़ कर उनकी उंगली बांधी ताकि खून बहने से रुक सके। श्रीकृष्ण द्रौपदी के स्नेह से बेहद अभिभूत हुए और उन्होंने द्रौपदी का हर संकट की घड़ी की में रक्षा का वचन दिया। बाद में उन्होंने यह वचन निभाया भी। रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की परंपरा चल पड़ी। कृष्ण के हाथ पर बांधने वाली साड़ी का टुकड़ा राखी का प्रतीक बन गई।

देवी लक्ष्मी और राजा बाली की कहानी

इसके अनुसार राजा बाली ने भगवान विष्णु की भक्ति करके उनसे अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की। भगवान विष्णु  बाली की भक्ति से प्रसन्न होकर उनके महल में चौकीदार का कार्य करने लगे। बैकुंठ धाम में देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अनुपस्थित पाया तो गए परेशान हो गए। वह राजा बाली के यहाँ से भगवान विष्णु को वापस लाना चाहती थी। इसीलिए उन्होंने बाली के सामने रूप बदलकर बेघर महिला के रूप में पहुंची और बाली से आश्रय मांगा। बाली दयालु राजा था इसलिए बाली ने लक्ष्मी को आश्रय दिया। देवी लक्ष्मी ने एक बार राजा बाली की कलाई पर एक धागा बांधा। राजा बाली ने प्रसन्न होकर उपहार मांगने के कहा।

देवी लक्ष्मी ने राजा बाली से चौकीदार के रूप में कार्य करने वाले भगवान विष्णु के मांग लिया और अपने असली रूप में आ गईं। राजा बाली वचन का पक्का था इसलिए उसने देवी लक्ष्मी को उनके द्वारा मांगा उपहार दिया और भगवान विष्णु को स्वतंत्र कर दिया। तभी बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी मांगे जाने के परंपरा चल पड़ी।

इसलिए किसी एक स्पष्ट मान्यता को रक्षाबंधन मनाने का आधार नहीं दे सकते।  कालांतर में अनेक तरह की कहानियों से विकसित हुआ यह पर्व आखिर में भाई-बहन के परम स्नेह और पवित्र बंधन का प्रतीक पर्व बन गया।

ऐसा पर्व भारत के अलावा किसी अन्य देश में नहीं मनाया जाता। भाई-बहन के पवित्र संबंध को जितनी अधिक पवित्रता भारत में दी जाती है, वह विश्व में अन्य कहीं  नही दी जाती।

रक्षाबंधन के दिन त्योहार मनाने का तरीका

रक्षाबंधन के दिन, बहनें और भाई सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। फिर वे मंदिर जाते हैं या घर में ही भगवान की पूजा करते हैं। बहनें और भाई तब तक भोजन नही करते जब तक बहन भाई को राखी नही बांध देती। राखी बांधने के एवज में भाई बहन को कोई उपहार भी देता है। यदि बहन विवाहित है और अपनी ससुराल में है तो वह अपने भाई के घर राखी बांधने के लिए आती है।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 2023 में 30 अगस्त, 2023 को शाम 9.02 बजे से 31 अगस्त सुबह 07:05 बजे तक है। इस दौरान राखी बांधने से भाई-बहन के बंधन में और मजबूती आती है।

रक्षाबंधन 30 अगस्त को या 31 अगस्त को?

रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। 2023 में श्रावण मास की पूर्णिमा 30 अगस्त को है। इसलिए, रक्षाबंधन 2023 में 30 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन 30 मई का 31 अगस्त दोनों दिन तो पड़ रहा है, लेकिन यह ना तो 30 अगस्त को पूरा दिन मनाया जा सकता है और ना ही 31 अगस्त को पूरा दिन मनाया जा सकता है।

दरअसल रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त को रात 9:02 से आरंभ होगा और अगले दिन 31 अगस्त सुबह 7:05 तक शुभ मुहूर्त रहेगा।

30 अगस्त को सुबह 10:59 से भद्राकाल का आरंभ हो जाएगा। भद्राकाल होने पर राखी नहीं बांधी जा सकती। राखी बांधना एक शुभ कार्य है और भद्रा काल में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसीलिए 30 अगस्त को जब भद्रा सुबह 10:59 से आरंभ होगी तो वह रात 9:02 पर समाप्त होगी। उसके बाद 9.02 मिनट के बाद कभी भी राखी बांधी जा सकती है। क्योंकि सावन की पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी। उसके बाद पूर्णिमा तिथि अगले दिन 31 अगस्त सुबह 7:05 तक रहेगी यानि अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 7:05 पर राखी बांधी जा सकती है।

इस तरह रक्षाबंधन 2 दिन तो पड़ रहा है लेकिन दोनों दिन पूरा-पूरा दिन नहीं है बल्कि आधे-आधे दिन ही है।

भद्रा क्या है? ये अशुभ क्यों मानी जाती है?

भद्रा एक विशेष समय काल है, जो अशुभ समय काल माना जाता है। यह एक अशुभ मुहूर्त है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है और भद्रा काल आने पर सारे शुभ कार्य स्थगित कर दिए जाते हैं। रक्षाबंधन वाले दिन पूर्णिमा तिथि आरंभ होते ही 10:59 से भद्राकाल लग जाएगी। इसी कारण 30 अगस्त को 10.59 के बाद राखी बांधने का अशुभ होगा। यह भद्राकाल रात 9:02 पर समाप्त होगी।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा काल को अशुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि इनके पीछे अनेक तरह की धार्मिक मान्यताएं छुपी हुई हैं, इसी कारण भद्रा को अशुभ माना माना जाता है। भद्रा काल में बहन भाई को राखी बांधे तो भाई और बहन के जीवन में संकट आ सकता है, ऐसा माना जाता है।


रक्षाबंधन पर भाई-बहन द्वारा एक दूसरे को भेजने के लिए कुछ शुभकामना संदेश

संदेश 1

सावन की रिमझिम फुहार है,
रक्षाबंधन का त्यौहार है,
भाई-बहन की मीठी तकरार है,
ऐसा यह प्यारा खुशियों का त्योहार है।

संदेश 2

कच्चे धागों से बनी डोर है राखी,
प्यार और मीठी शरारती की होड़ है राखी,
भाई की लंबी उम्र की दुआ है राखी,
बहन के प्यार का धुआँ है राखी

संदेश 3

कच्चे धागों से बनी डोर है राखी
प्यार और मीठी शरारतों की होड़ है राखी
भाई की लम्बी उम्र की दुआ है राखी
बहन के प्यार का प्रतीक है राखी!

संदेश 4

साथ खेले और साथ बड़े हम,
खूब मिला बचपन में प्यार,
इसी प्यार की याद दिलाने,
आया यह राखी का त्यौहार

संदेश 5

आज मेरे लिए कुछ खास है,
तेरे हाथों में मेरा हाथ है,
मुझे भाई होने का एहसास है,
दिन है प्यारा रक्षा बंधन का,
मेरी बहन है तो सब कुछ मेरे पास है।

संदेश 6

भाई-बहन के रिश्ते में जो भूलते मिठास,
जीवन में दोनों के जो लाता है, हास,
भाई-बहन दोनो आ जाते हैं पास,
राखी का त्यौहार है सबसे खास

संदेश 5

खुश किस्मत होती है, वह बहन
जिसके सर पर भाई का हाथ होता है,
कोई भी परेशानी हो या हो तकलीफ,
उसका भाई हमेशा उसके साथ होता है।

संदेश 6

कलाई पर रेशम का धागा है,
बहन ने बड़े प्यार से बांधा है,
बहन को भाई से रक्षा का वादा है।
रक्षाबंधन की शुभकामनाएं।

संदेश 7

लड़ना-झगड़ना फिर प्यार से मनाना,
तभी तो इस रिश्ते में इतना प्यार होता है,
भाई-बहन के बंधन को मजबूत करता,
रक्षाबंधन का ये त्योहार होता है।

संदेश 8

कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी,
प्यार और मीठी शरारतों की होड़ है राखी।
भाई की लंबी उम्र की दुआ है राखी,
बहन के स्नेह का पवित्र प्रतीक है राखी।

संदेश 9

कलाई पर सजा के राखी,
माथे लगा दिया है चंदन,
सावन के पावन मौके पर,
सबको हैप्पी रक्षाबंधन

संदेश 10

चंदन का टीका और रेशम का धागा,
सावन की सुगंध और बारिश की फुहार।
भाई की उम्मीद और बहन का प्यार
मुबारक हो रक्षाबंधन का त्यौहार।

संदेश 11

आया है एक जश्न का त्योहार,
जिसमें होता है भाई बहन का प्यार,
चलो मनाए राखी का त्यौहार,
सबको बधाई हो मेरे यार

संदेश 12

राखी का त्योहार आया,
खुशियों की बहार लाया,
आज ये दुआ करते हैं हम,
भैया खुश रहो तुम हरदम।

संदेश 13

भैया तुम जियो हजारों साल,
मिले कामयाबी तुम्हें हर बार,
खुशियों की हो तुमपे बौंछार,
यही दुआ करते है हम बार-बार।

संदेश 14

बहन चाहें सिर्फ प्यार दुलार,
नहीं मांगती बड़े उपहार,
रिश्ता बना रहे सदियों तक,
मिले भाई को खुशियां हजार।
राखी की ढेर सारी शुभकामनाएं।

संदेश 15

रिश्ता है जन्मों का हमारा,
भरोसे और प्यार से भरा।
चलो इसे बांधे भैया,
राखी के अटूट बंधन में।

 

तो फिर मनाएं रक्षाबंधन और मजूबत करें भाई-बहन के संबंध।

 


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