Thursday, November 30, 2023

सतेंद्र सिंह लोहिया – संकल्प बल : कुछ भी असंभव नहीं

Satendar Singh Lohiya संकल्प बल कुछ भी अंसभव नहीं

संकल्प बल : कुछ भी असंभव नहीं – Satendar Singh Lohiya

मनुष्य अपने संकल्प के बल पर पाषाण को तोड़ सकता है, लोहे को गला सकता है, आग को बुझा सकता है, पानी को उड़ा सकता है । सब कुछ मनुष्य के संकल्प शक्ति (बल) पर निर्भर है । दृढ़तापूर्वक से किया गया निश्चय संकल्प कहलाता है । संकल्पजनित दृढ़ता ही संकल्प को वह बल प्रदान करती है । संकल्प हम अपने मन से लेते हैं और उसे पूरा करने के लिए हमारा हृदय हमें शक्ति देता है । यदि संकल्प कर ले तो इंसान कुछ भी कर सकता है ।

क्या आप संकल्प के बल को हिम्मत बनाकर अपने लक्ष्यों को पूरा करने वाले अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र सिंह लोहिया (Satendar Singh Lohiya) के बारे में जानते है ।

अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र सिंह लोहिया (Satendar Singh Lohiya) के जीवन का सफर 

अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर सतेंद्र सिंह लोहिया ने अपने जीवन में अपने सपनों को पूरा कर दिखाया है । उन्होंने आयरलैंड में 36 किमी लम्बे नॉर्थ चैनल को 14 घंटे 39 मिनट में पार कर रेकॉर्ड बनाया । वह देश के पहले पैरा स्विमर हैं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है ।

वह पैरालिम्पिक और वर्ल्ड स्विमिंग चैम्पियनशिप में कई पदक हासिल कर चुके हैं । एक समय था जब पैरों में खराबी आ जाने से वह निराश हो गए थे , लेकिन फिर अपने मन को मजबूत किया और और संकल्प किया कि वह अपनी इस कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लेंगे । संकल्प बल के द्वारा ही वह वर्ल्ड रेकॉर्ड तक पहुंच गए ।

एमपी के भिंड निवासी सतेंद्र सिंह लोहिया का शरीर 70 % विकलांग हैं, वो अपने पैरो पर बहुत मुश्किल से ही चल पाते हैं लेकिन गाँव के पास वेसली नदी में जो बच्चा कभी तैर लिया करता था , आज वह दुनिया के बड़े – बड़े चैनलों को फ़तह कर रहा है । बचपन संघर्षों में गुजरा , परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी ।

पढ़ाई के लिए पिताजी ने घर और जमीन बेच दी थी । 2007 में बीए.स.सी का फॉर्म भरा, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई नहीं कर पाया। बाद में एक निजी कॉलेज से बी.ए किया । पापा सिक्योरिटी गार्ड थे , जिससे घर मुश्किल से चलता था ।

हालातों को देखते हुए एक कंपनी में मैंने भी एक महीने काम किया । वह चार भाई हैं ।  जब वह 10 – 12 साल का था तब किसी चीज के रिएक्शन से मेरे पैर खराब हो गए थे । इससे मैं बहुत निराश था , लेकिन मैंने अपनी विकलांगता को भूलकर मन को मजबूत किया । उनके  गाता गांव (भिंड ) में बेसली नदी है , मुझे तैरने का बहुत शौक था ।

मैं नदी में तैरता तो गांव वाले चिल्लाते थे, यह अपाहिज है नदी में इतनी फुर्ती से तैरता है, इसको चोट लग जाएगी, लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी । सतेंद्र ने कहा, दिव्यांग होने की वजह से गांव के कुछ लोग ताने मारते थे , लेकिन निराश होने की बजाय उन्होंने निश्चय किया कि दिव्यांगता को कभी अपने राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे ।

2007 में डॉ वीके डबास के संपर्क में आए तो उन्होंने मुझे पैरा स्विमिंग के लिए मोटिवेट किया ,  उससे उनके  जीवन को नई दिशा मिली गई |

शुरुआत में राज्य स्तर के खेलों में पीछे रह जाते थे  , लेकिन हिम्मत नहीं हारी । उनका सपना था इंग्लिश चैनल पार करने का , शुरुआत में कामयाबी नहीं मिली । लोहिया ने 24 जून 2018 को 12 घंटे 24 मिनट में तैरकर इंग्लिश चैनल पार किया था, जो कि एक रिले इवेंट था ।

इस इवेंट के लिए उनका नाम एशियाई लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ । अमेरिका में 18 अगस्त 2019 को इन्होंने 11 घंटे 34 मिनट में कैटरीना चैनल पार किया । जिसके साथ ही  सत्येंद्र टीम इवेंट में इस चैनल को पार करने वाले पहले एशियाई दिव्यांग तैराक बन गए ।

20 सितंबर-22 को नॉर्दर्न आयरलैंड और स्कॉटलैंड के बीच के पास नार्थ चैनल पार किया । इसका तापमान  10 से 12 डिग्री रहता है। सत्येंद्र सिंह ने 7 नेशनल पैरा तैराकी चैंपियनशिप में भाग लेकर देश के लिए 24 पदक हासिल किए हैं ।

इसके साथ तीन अंतरराष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप में देश के लिए एक गोल्ड मेडल के साथ कुल 4 पदक हासिल किए हैं ।

सत्येंद्र सिंह को साल 2014 में मध्य प्रदेश की तरफ से सर्वोच्च खेल सम्मान, विक्रम अवार्ड से नवाजा गया । सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उनसे मुलाकात की और उनकी जमकर तारीफ भी की थी । इसके बाद 3 दिसंबर 2019 को उपराष्ट्रपति द्वारा सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी का राष्ट्रीय अवॉर्ड भी इनके नाम दर्ज है । सत्येंद्र को पीएम नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके है ।

70 प्रतिशत दिव्यांग की कैटेगरी में आने वाले दोनों पैरों से दिव्यांग सत्येंद्र सिंह ने अपनी कमजोरी को ही ताकत बनाकर दिखाया । अंतरराष्ट्रीय पैरा स्वीमर सत्येंद्र सिंह लोहिया दिव्यांग युवा खिलाड़ियों का प्रेरणा स्रोत है जो अपनी शारीरिक कमजोरी से हार मान कर घर बैठ जाते है, जो यह सोचने लगते हैं कि हम शारीरिक कमजोरी की वजह से कुछ नहीं कर सकते ।

सत्येंद्र की यहाँ तक पहुंचने की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो संसाधनों का रोना रोते हैं । सत्येंद्र के पास ट्रेनिंग के पैसे नहीं थे तो उन्होंने 18 लाख में अपना घर गिरवी रखा था । ब्रिटेन के वीजा के लिए जब नकदी की कमी हुई तो साहूकार से तीन रुपये सैकड़ा ब्याज पर दो लाख उधार लिए ।

नॉर्थ चैनल 36 किमी लंबा है और उसका तापमान 12℃ होने के बावजूद ठंडे पानी की लहरों को चीरते हुए सतेंद्र ने ये कारनामा कर दिखाया । सतेंद्र ने 14 घण्टे 39 मिनट में नॉर्थ चैनल को पार कर लिया है । नॉर्थ चैनल को दुनिया का सबसे ठंडा चैनल भी माना जाता है लेकिन अपनी शारीरिक विकलांगता के बावजूद  संकल्प के बल से सतेंद्र ने ये इतिहास रच दिया है ।

यह सब कोई जादू से नहीं हुआ यह सब मुमकिन होने के पीछे उनकी संकल्प बल (शक्ति) है ।


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