सतीश धवन (Satish Dhawan) – राकेट वैज्ञानिक के नाम से मशहूर
सतीश धवन (Satish Dhawan) भारत के एक प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे। जिन्हें ‘रॉकेट वैज्ञानिक’ के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि रॉकेट साइंस में उन्होंने अपना अभूतपूर्व योगदान दिया था। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई दिशा देने और उसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाने में उनका बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान था। वह काफी समय तक भारत के प्रमुख अंतरिक्ष संगठन ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र’ (ISRO) के अध्यक्ष भी रहे थे।
जन्म और परिचय
प्रोफेसर सतीश धवन का जन्म जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में 25 सितंबर 1920 को हुआ था।
शिक्षा-दीक्षा
उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से गणित और भौतिक शास्त्र में बी.ए. किया था। उसके बाद उन्होंने अंग्रेजी साहित्य से एम.ए. किया। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.ई. की डिग्री भी प्राप्त की।
विदेश से शिक्षा के रूप में उन्होंने अमेरिका के मिनेसोटा विश्वविद्यालय से मानिक इंजीनियरिंग एम.एस. और कैलिफार्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी से से वैमानिक इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। उन्होंने वैमानिकी और गणित में पी.एच.डी भी की।
पद एवं उपलब्धियाँ
उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान में बेहद रूचि थी। सन 1972 में वे भारत के प्रमुख अंतरिक्ष संगठन ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र’ (इसरो) के अध्यक्ष बने। उन्होंने यह स्थान भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई की जगह पर ग्रहण किया था।
जब सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष बने, उसके बाद से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम एक नई गति से ऊंचाइयों की ओर बढ़ने लगा। उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को कई शानदार उपलब्धियों प्राप्त करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सतीश धवन को भारत के प्रथम सुपर सोनिक विंड टनल स्थापित करने का भी श्रेय प्राप्त है।
प्रोफेसर सतीश धवन को आईआईएससी में भारत की पहली ‘सुपर सोनिक विंड टनल’ को स्थापित करने का श्रेय प्राप्त है।
इसके अलावा उन्होंने वियुक्त परिसीमा स्तर प्रवाह, तीन-आयामी परिसीमा परत और ट्राइसोनिक प्रवाहों की पुनर्परतबंदी पर उल्लेखनीय अनुसंधान कार्य किया।
प्रोफेसर सतीश धवन के प्रयासों के कारण ही सुदूर संवेदन और उपग्रह संचार प्रणाली पर अनेक प्रयोग किए गए इससे इनसेट एक दूरसंचार उपग्रह आईआरएस, भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान, पीएसएलवी जैसी प्रणालियों को लॉन्च करने का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
उनकी उपलब्धियों उनकी उपलब्धियों के कारण ही भारत अंतरिक्ष कार्यक्रम में सफल राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल हो गया था।
पुरुस्कार एवं सम्मान
प्रोफेसर सतीश धवन (Satish Dhawan) को अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें उन्हें भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मभूषण’ 1971 में प्राप्त हुआ।
उसके अलावा उन्हें ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार’ 1999 में मिला।
वे अनेक प्रमुख संगठनों के अध्यक्ष या प्रमुख भी रहे, जिसमें भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु का नाम प्रमुख है, जिसके साथ वह लगभग 20 वर्ष तक जुड़े रहे।
इसके अलावा वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के 1972 से 1984 तक अध्यक्ष रहे।
वे भारतीय अंतरिक्ष आयोग के भी 1972 से 1984 तक अध्यक्ष रहे।
उन्होंने कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी अमेरिका में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में एक वर्ष तक कार्य किया।
देहावसान
प्रोफेसर सतीश धवन (Satish Dhawan) का निधन 3 जनवरी 2002 को हुआ था।
इस तरह सतीश धवन भारत के अतंरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने को जाने जाते हैं। उनके नाम पर श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) में ‘प्रोफेसर सतीश धवन अंतरिक्ष केंंद्र’ स्थापित है।
Satish Dhawan
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