आज यानी 4 जुलाई से श्रावण मास (Shravan Maas) का आरंभ हो चुका है? श्रावण मास आज से आरंभ होकर 28 अगस्त 2023 तक चलेगा। इस वर्ष का श्रावण मास लगभग 2 महीने का है, बीच में मलमास भी पड़ेगा। श्रावण मास में क्या करें, क्या न करें? श्रावण मास से संबंधित मान्यताओं को परंपराओं को जानते हैं…
श्रावण मास (Shravan Maas) – भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना जो उनको ही है समर्पित
सनातन धर्म में सबसे बड़े आराध्य देव माने जाते हैं शिव से परे कुछ भी नहीं वह योगीराज हैं, मोक्ष प्रदाता हैं। ब्रह्म रूप में सृष्टि का सृजन करते हैं, विष्णु रूप में संसार का पालन करते हैं, और शंकर रूप में संसार का संहार करते हैं। अर्थात वह देवों के देव महादेव हैं।
इसीलिए सनातन संस्कृति में एक पूरा महीना ही भगवान शिव की विशेष आराधना के लिए समर्पित है। श्रावण का महीना वह पवित्र महीना है जिसमें भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। भगवान शिव की आराधना करने से शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त पर विशेष कृपा बरसाते हैं।
श्रावण मास को आमतौर पर लोग सावन भी कहते हैं।
श्रावण मास 2023
2023 के सावन मास का आरंभ 4 जुलाई 2023 से हो चुका है। इस बार लगभग 19 वर्षों बाद यह महीना दो महीने यानी लगभग 59 दिनों तक चलेगा। इस बार श्रावण मास दो चरणों में पूरा होगा।
इस बार श्रावण मास 4 जुलाई से आरंभ होकर 28 अगस्त 2023 को संपन्न होगा। इस अवधि में बीच में 18 जुलाई से 16 अगस्त तक लगभग 30 दिनों का मलमास भी होगा।
श्रावण मास का पहला चरण श्रावण मास का पहला चरण 4 जुलाई 2023 से 17 जुलाई 2023 तक होगा। उसके बाद श्रावण मास का दूसरा चरण 18 अगस्त 2023 से आरंभ होकर 31 अगस्त 2023 तक चलेगा।
श्रावण मास का सारा विवरण
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श्रावण के इस पवित्र महीने में भगवान शिव की भक्ति करके उनकी कृपा का कैसे लाभ उठाएं और हम क्या कार्य ना करें जो कि इस माह में वर्जित है आइए जानते हैं…
श्रावण में कैसे पूजा करें?
श्रावण मास पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित महीना होता है, और इस महीने में भगवान शिव की सबसे अधिक आराधना की जाती है। कहते हैं कि इस महीने में ही देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू की थी और उनके तरफ से प्रसन्न होकर ही शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मनोइच्छा पूरी की।
इस महीने के बारे में मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा भाव से भगवान शिव की आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्रावण मास में भक्तजन भगवान प्रत्येक सोमवार को व्रत-उपवास रखते हैं।
श्रावण मास में सामान्यतः चार सोमवार पड़ते हैं। कभी-कभी सावन मास में चार की जगह 3 सोमवार ही आते हैं। कभी-कभी श्रावण मास में 8 सोमवार भी आते हैं, जैसे कि इस बार आ रहे हैं, लेकिन क्योंकि बीच में मलमास आ रहा है, इसलिए मलमास के ये सोमवार शुद्ध श्रावण के सोमवार नही हैं। श्रावण मास के पहले चरण के दो सोमवार और दूसरे के चरण के दो सोमवार ही श्रावण के सोमवार गिने जाएंगे।
श्राावण मास के चारों सोमवार में भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।
इस बार का श्रावण मास के बीच में अधिक मास यानी मलमास भी पड़ रहा है इसलिए मलमास की अवधि में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी आराधना की जाएगी।
श्रावण मास में क्या करें?
श्रावण मास का व्रत रखने के लिए प्रत्येक सोमवार को व्रत रखना चाहिए तथा शिव मंदिर में जाकर या घर पर भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
भगवान शिव की आराधना के लिए गंगाजल, शुद्ध जल, दूध, दही, मधु, शक्कर मिलाकर पंचामृत बनाकर विधि-विधान से भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
भगवान शिव को बेलपत्र, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा जैसे पदार्थ अर्पित करने चाहिए। उन्हें धूप और दीप आदि अर्पित करना चाहिए।
बेलपत्र भगवान शिव को प्रिय पत्र हैं। केवल बेल पत्र से पूजा करने से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
श्रावण मास में पूरे महीने भक्त को सात्विक रूप से शुद्ध मन से रहना चाहिए, सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए तथा तामसिक पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
शिव पंचाक्षर मंत्र का निरंतर जाप करना चाहिए।
ॐ नमः शिवाय।
महामृत्यु मंत्र के इस विशिष्ट मंत्र का जाप करना चाहिए।
ॐ हौं जूं सः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ॥
श्रावण मास में क्या न करें?
श्रावण मास में कुछ कार्य वर्जित हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए नहीं तो विपरीत प्रभाव मिल सकता है।
- शास्त्रों में वर्णित मान्यता के अनुसार भगवान शिव की आराधना करते समय कभी भी हल्दी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- श्रावण मास में अपने शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करने से विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- श्रावण मास में भगवान शिव को केतकी का फूल कभी भी अर्पित नहीं करना चाहिए। केतकी का फूल अर्पित करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
- पूजा करते समय भगवान शिव को कुंकुम अर्पित नही करना चाहिए। उन्हें केवल चंदन ही अर्पित करना चाहिए।
- श्रावण मास में किसी भी तरह का मांसाहारी पदार्थ की मात्रा का सेवन नहीं करना चाहिए। मदिरा व अन्य उत्तेजक पदार्थ जैसे तम्बाकू, गुटखा, पान मसाला, सिगरेट का सेवन नही करना चाहिए।
- श्रावण मास में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए बल्कि वह दूध शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए।
- श्रावण मास में पेड़ों को काटने से बचना चाहिए।
- मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में बैगन और साग जैसी सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए।
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