Wednesday, November 22, 2023

भारत के चंद्रयान 3 ने चंद्रमा पर सफल लैंडिंग तो कर दी, जानें उसके मायने।

Chandrayaan 3 on Moon

भारत के चंद्रयान 3 ने चंद्रमा पर सफल लैंडिंग तो कर दी, जानें उसके मायने। (Chandrayaan 3 on Moon)

भारत के चंद्रयान (Chandrayaan 3 on Moon) 3 ने आज 23 अगस्त को 6:04 पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर सफल लैंडिंग करके अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया। भारत दुनिया का ऐसा पहला देश बना, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतारा हो।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव ही नहीं पूरे चंद्रमा पर कहीं पर भी अपने अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लैंड कराने वाला भारत दुनिया का केवल चौथा ही देश है। उससे पहले केवल अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ही चंद्रमा की सतह पर अपने अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लैंड करा चुके हैं।

भारत इस विशिष्ट ग्रुप में शामिल हो गया है।

भारत ने यह इतिहास तो रच दिया है लेकिन आगे और इतिहास रचा जाने वाला है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक chandrayaan-3 की लैंडिंग कराकर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई गति मिलने वाली है और भारत की पूरी अर्थव्यवस्था एक नया मिलने वाला है।

आइए समझते हैं भारत के chandrayaan-3 की सफल लैंडिंग के क्या मायने हैं।

बेहद खास है चंद्रमा पर लैंडिंग

इससे पहले रूस अमेरिका और हिंदी अपने जो भी अंतरिक्ष यान चांद पर भेजें, उन्होंने चंद्रमा की भूमध्य रेखा पर ही लैंडिंग की है। चाँद की भूमध्य रेखा की सतह एकदम सपाट है और यहां पर लैंडिंग कराना चंद्रमा के साउथ पोल की अपेक्षा काफी आसान है, इसीलिए इन देशों को अपेक्षाकृत जल्दी सफलता मिल गई।

चंद्रमा का साउथ पोल काफी समतल है और यहां पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं। चंद्रमा के साउथ पोल गड्ढों की भरमार है। ये गड्ढे इतने विशाल हैं कि यहाँ पर अरबों बरसों को सूरज की रोशनी तक नही पहुंची हो ऐसी संभावना जताई जाती रही है।

यहाँ का तापमान भी –200 डिग्री सेल्सियस से कम हो सकता है, इसी कारण यहां पर जो भी वस्तुएं दबी होंगी वे ज्यों कि त्यों हो सकती है। यहाँ की मिट्टी का अध्ययन अंतरिक्ष और चंद्रमा के अध्यायन के नए रहस्यों को सुलझाएगा।

अब जबकि भारत का चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर चुका है। वहाँ की मिट्टी के अध्ययन कर नई-नई जानकारियां सामने आएंगी, यहाँ पर पहले से ही पानी की मौजूदगी बर्फ के रूप में होने की संभावना जताई जाती रही है। पानी की मौजूदगी की सटीक जानकारी होने पर भविष्य के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है।

सबसे पहले भारत ने ही 2009 में भारत के इसरो के वैज्ञानिकों ने ही चाँद की सतह पर पानी होने का पता लगाया था। चंद्रमा की सतह पर पानी होने पर इंसानो के लिए चंद्रमा का बेस बनाए जाने के रास्ते खुल सकते हैं।

Chandrayaan-3 भारत के दक्षिणी ध्रुव पर जो भी अध्ययन करेगा, वह काफी केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए काफी उपयोगी साबित होगा।

इकॉनोमी को मिलेगी रफ्तार

भारत ने अपने भारी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3-M4 का उपयोग करके चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। कुछ समय पहले, अमेजॉन के संस्थापक जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन ने इसरो के LVM3 रॉकेट का उपयोग करने की संभावना दिखाई थी। उनकी कंपनी का उद्देश्य इसरो के रॉकेट का वाणिज्यिक और अंतरिक्ष पर्यटन के उद्देश्यों के लिए उपयोग करना था।

एलन मस्क की स्पेस एक्स जैसी कई कंपनियां चांद पर यातायात सेवाएँ प्रदान करने की योजना बना रही हैं। वे इसे बड़े पैमाने पर व्यापारिक उपयोग करने की सोच रहे हैं। सरकारों के अलावा, निजी अंतरिक्ष कंपनियां भी चांद पर कार्गो ले जाने की तैयारियों में जुटी हैं।

चंद्रयान-3 द्वारा की जाने वाली अनुसंधान के फलस्वरूप, चंद्रमा पर मून इकॉनमी के क्षेत्र में बड़े अवसर खुल सकते हैं। जिस प्रकार हमारे पास जानकारी होगी, वैसे ही व्यापार भी हमारे पास आ सकता है।

मून इकॉनमी कितनी बड़ी हो सकती है

2040 तक, मून इकॉनमी के आकलन के अनुसार, यह लगभग 4200 अरब डॉलर की मूल्य में हो सकती है। यह आकलन प्राइस वॉटरहाउस कूपर का है। इसके अनुसार, 2040 तक मून ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में 420 अरब डॉलर तक का व्यापार हो सकता है। आकलन के अनुसार, 2026 से 2030 तक मून इकॉनमी में 19 अरब डॉलर, 2031 से 2035 तक 32 अरब डॉलर और 2036 से 2040 तक 42 अरब डॉलर तक का व्यापार हो सकता है।

मानव बसाहट की संभावना

यह निर्णय केवल यातायात तक ही सीमित नहीं है। भारत के पास उपलब्ध डेटा का भी उपयोग व्यापार के लिए किया जा सकता है। ऐसे कई देश हैं जिनके पास चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने की क्षमता नहीं है, और वे भारत से डेटा खरीदकर अपने अनुसंधान को समृद्धि प्रदान कर सकते हैं।

इसके माध्यम से वे बिना खुद चंद्रमा पर जाए भी अपने अनुसंधान कार्य कर सकते हैं। चंद्रमा पर पानी की खोज ने संभावित रूप से ऑक्सीजन उत्पादन की संभावना को उजागर किया है। इससे भविष्य में वहां आधारित आवास और अन्य संरचनाएँ बनाई जा सकती हैं।

एक आकलन के अनुसार, 2030 तक चंद्रमा पर 40 और 2040 तक 1000 अंतरिक्ष यात्री जा सकते हैं। इसके लिए चंद्रयान-3 की अनुसंधान कार्यों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।

तो चंद्रमा पर चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग केवल चाँद की सतह का अध्ययन करना ही नही बल्कि ये भारत के लिए आगे अनेक संभावनाओं के द्वारा खोलेगी। भारत का रुतबा दुनिया में बढ़ेगा इस बात  में कोई संदेह नही है।

Topic: Chandrayaan 3 on Moon


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आभार

https://www.isro.gov.in/

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